Tuesday, July 27, 2021

जीवन चक्र

    

रोपड़ ,सृजन ,आरम्भ है कोमल ,
कण- कण का यथार्थ यही है,
कोमल  और परिपक्व नहीं वह
 अग्रसर है उत्कृष्ट के पथ पर ,
रौद्र ,प्रचंड और विकसित है ,
है अपनी पूरी आभा पर,
जीवन पथ भी है ऐसा कुछ ,
अवसान भी है उत्कृष्ट के बाद ,
कण - कण का है यही चक्र,
जीवन, भाव हो या हो क्षणिक ,
क्यों रखना अभिमान किसी का ,
जीवन गति का यही है किस्सा,
सृजन ,विकास और उत्कृष्टता,
सुबह की कोमल किरणों से
प्रचंड धूप की उत्कृष्ट ऊर्जा से
ढलती शाम की शीतलता सा,
गुजर रहा कण -कण जीवन ,
घटित है यह सर्वस्व जगत में,
नहीं है इसकी कोई काया ,
विकल्प नहीं इस सत्य का ,
चाहे राह कही से भी हो,
भावों में भी यही भरा है,
नहीं है कुछ भी स्थिर यहां, 
सब है बस कर्मो का फल ,
प्रकृति कण का जर्रा- जर्रा ,
भरी हुई गतियों से ,
वापस मिल जाता है सब कुछ ,
जो देने की नीयत की हो .....

✍️एआई का उपयोग-प्रभाव और दुष्प्रभाव

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