Monday, March 27, 2023

प्रतीक्षा

कुछ वाक़या जीवन को सीख देने के साथ बहुत आहत कर जाती है,पता नहीं क्यों लेकिन भावों को समझने और उसकी गहराई बहुत ही स्तब्ध कर जाती है।
   एकाकीपन हमें लगता है युवाओं में अत्यधिक है लेकिन इससे कहीं ज्यादा मैंने पाया कि एकाकीपन वृद्ध जनों में बहुत ज्यादा है,जो बिल्कुल अनकहा, अनसमझा है हम एक वक्त के बाद भूल जाते है कि हमारे माता-पिता को  हमारी सबसे ज्यादा जरूरत तब सबसे ज्यादा होती है जब हम अपने जिंदगी के अहम हिस्से में जी रहे होते है जब हमें लगता है कि सब कुछ यही है ऐसा ही रहेगा यही हमारी दुनियां है हम उस दुनियां में उनको भूल चुके होते है,शहरों की सुविधाएं, विकास लुभावनी तो लगती है लेकिन यहाँ पड़ोस में भी खबर नहीं होती कौन है कौन नही,कई मकानों में माँ अकेले रह रही,पिता अकेले रह रहे,कहीं दोनों अकेले रह रहे,हम उन्हें सहायकों के भरोसे छोड़,दूसरे देशों में रह रहे है,बयां नहीं कर सकती हूं मैं कि यह किस हद तक का एकाकीपन बढ़ रहा समाज में ,जो लगातार  डिप्रेशन, हार्ट अटैक ,मानसिक पीड़ा दे रहा है ।
     जानती हूं कि यही सवाल आएगा कि क्या किया जा सकता है जीवन को चलाने के लिए,आर्थिक अर्जन के लिए करना पड़ेगा न ,धीरे-धीरे समझ आ रहा है मुझे कि हम इतने अर्जन के बाद भी खाली ही जाते है सब को पता है लेकिन वही है न अपनी पीड़ा हमें अपनी लगती है किसी और की पीड़ा जब तक समझ आती है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है.....

   शब्द नहीं है मेरे पास,
उन भावों की अभिव्यक्ति करूँ,
जीवन चक्र के उन भावों का,
कैसे करूँ मैं अभिव्यक्ति!
    
          नित जीवन के उन क्षण का,
          जो देता पीर,अनकहे भावों में,
          विरह वेदना के उन भावों का,
          जो मन के अन्तस् को भर जाता!

जीवन का सम्पूर्ण त्याग,
जब खत्म हो एकाकीपन में,
सब धरे रह गया इसी धरा पर!

        नहीं है कोई शब्द धरा में,
        जो व्यक्त करें उन भावों को,
        क्षुब्ध हो गया है मन मेरा!

हम दूर हो गए इतना अपनों से,
कर पाएं न जब अंतिम दर्शन,
जीवन दाता हो जो अपने!

      कलेजा छलनी तो हुआ होगा,
       प्रश्न तुम्हें भी घेरे होंगे,
      इतनी दूर निकल आए क्यों!

जीवन के अंतिम क्षण तक,
ललचाई सी आँखों में,
एक प्रतीक्षा देखी है!

महिमा यथार्थ©







Tuesday, March 14, 2023

स्पर्श

शीतलता है स्पर्श में,
भावनाएं है स्पर्श में,
सुकून है स्पर्श में!

हवा की छुवन ,
नहीं छूती है ,
केवल
शरीर ,
छू जाती है मन,
साथ होने का आभास दे जाती है,
हवाएं  शीतल कर जाती है रूह ,
उदाहरण भी है आंधी कि
तीव्रता ,आततायी ,अति
घातक है !


खिलते फूल नहीं है
केवल सुंदर,
वह है रंग ,
अपने स्वभाविकता का,
अपनी शुद्धता का,
प्रमाण है गुणवत्ता का,
नहीं करती है केवल ,
आंखें उनका दीदार,
उसका स्पर्श आभास देता है,
कोमल मन का,
वृद्धि करते हम देख पाते है,
सीखते है धैर्य को,
उसके प्रत्येक अंग के संयोजन का ,
देता है उत्तम उदाहरण!

चहचहाना केवल उनकी आवाज नहीं है,
है वह मन की चंचलता का प्रतीक ,
उनकी खुशियों का प्रतीक ,
उनके प्रत्येक भावनाओं
की अभिव्यक्ति,
उदाहरण है कि सुनो
तुम लोगों के कहे अनकहे
जज़्बात, आवाज ,
ईश्वर द्वारा भेजे गए ये
जीवन्त उदाहरण है ,
जो सीखते रहने,
बदलाव करते रहने,
के जीवन्त प्रतीक है!

पृथ्वी पर उगी घासें,
स्पर्श करते मेरे पावँ
सारे ताप ,
सारी जलन ,
खींच लेती है,
उसकी कोमलता
महसूस होती है,
मन को,
मस्तिष्क को,
बदल देते है हमारे
उद्दवेलित मन को,
आहिस्ता शांत कर जाते है,
ये अनगिनत स्पर्श !

महिमा यथार्थ©

मेरे पास एक दीप है!

मेरे पास एक दीप है,
जिसका उजाला मेरे अंतर्मन तक पहुँचा,
वह खुद प्रकाशित है और उसके अंतस में खोज है!

मेरे पास एक जलता दीप है,
जिसकी लौ प्रकाशित है,
उसकी प्रकाश में ताप है,
जिसकी छाया में शीतलता है!

आँधियों में उसकी लौ को मुझे,
आँचल देना है,उसकी लौ मुझे
गर्मी दे रही है मै खुश हूं!

मेरे पास एक जलता दीप है,
जो मेरे अंधेरी रातों का हमसफ़र होगा,
जिसकी लौ हवा में मुझे बेचैन करती है,
जिसकी शांती मुझे बेचैन करती है!

मेरे पास एक जलता दीप है,
जिससे गर्माहट तो है लेकिन यह,
मेरे आत्मा की तहों तक पहुँच,
सुलगा रही है मुझे आहिस्ता से !

मेरे पास एक जलता दीप है,
जो अल्हड़,बेबाक़, चट्टान सा जल रहा है,
उसकी बाती ही उसे जला कर प्रकाशित कर रही है,
वह खोजी है एक शीतलता का,सुकून का ,
उसे एहसास है उस तेल का जो उसे प्रकाशित कर रही है!

मेरे पास एक जलता दीप है,
जिसके कण-कण को समझना है ,
जैसे किसी कोरे किताब का लेखक
एक -एक वर्ण महसूस करता है,
पिरोता है शब्दों को और करता है
जीवन्त एक किताब को !
महिमा यथार्थ©

आखिर क्यों

    In this modern era,my emotional part is like old school girl... My professionalism is like .. fearless behavior,boldness and decisions ...