Monday, December 14, 2020

नुमाइश



                   "  नुमाइश "

सभी लोग तैयारियों में सुबह से जुटे हुए थे ,क्योंकि आज मीरा के भईया के लिए सभी लोग लड़की देखने जाने वाले है ,सभी तैयार हो रहे है ।
तभी दादा जी बोले - "सामान को गाड़ी में ही रहने देना लड़की जब पसंद आ जाएगी , तय तमाम हो जाएगा तब हम अपनी तरफ से कुछ देंगे ।"
दादी बोलती है - हां,और नहीं तो क्या!
सुबह के 10 बजने वाले है ,गाड़ी घर के सामने आती है सब एक दूसरे को बोलते है कि जल्दी करो नहीं तो हम समय से नहीं पहुंच सकेंगे ,मीरा के पिता जी नहीं थे ।
मीरा ,भईया ,कुछ नजदीकी रिश्तेदार सब गाड़ी में बैठे और निकल गए , मंदिर पहुंचकर सब एक दूसरे से अपने हुलिए को पूछते है ,मीरा भईया का कोट सही करते हुए बोलती है "भईया अच्छे से देख लेना सांवली तो नहीं, तिरछे तो नहीं देखती ,और भी सब ।"
      सब लोग लड़की के घर वालो के पास गए सबको उन्होंने अभिवादन किया ,बैठाया ,पानी पिलाया ।फिर लड़की को बुलाया गया और बैठा दिया गया सब उसे देख रहे है ऐसे मानों कोई नुमाइश के लिए सामान खड़ा किया गया हो ,मीरा अपनी बुआ से बोलती है -" लड़की के चेहरे पर बहुत दाने दिख रहे " ।
      बुआ बोलती है - "सांवली भी है , उसे बाहर टहलने को ले जाना ,पता चल जाएगा कि कहीं कोई दिक्कत तो नहीं ,कहीं बहुत ज्यादा छोटी तो नहीं है "।
मामी ने पढ़ाई वगैरह पूछा ,लडके ने एक नजर किसी तरह देखा और फिर कुछ पूछने को बोला गया लेकिन उसने पूछा नहीं ।
    मीरा बोलती है लडकी से -"चलिए बाहर टहल कर आते है आप पैर में सैंडल मत पहनना "।
वह साथ - साथ चलती है और बुआ पीछे से देखती है कि मीरा से छोटी है या बड़ी लंबाई में । मामी कुछ सवाल पूछती है - ताकि पता चले कि लडकी  को कहीं बोलने में दिक्कत तो नहीं ।
कुछ खाया  पीया लोगों ने लड़की के पिता नहीं थे सिर्फ भाई ही था और उसकी मां और भाभी और कुछ रिश्तेदार ।
       लड़के की मामी ,मीरा ,बुआ ,लड़का सभी बाहर आ गए ,लड़का बोला -"मुझे लड़की नहीं पसंद ,सांवली है,मुझे शादी नहीं करनी इनसे "।
मीरा बोली -"हां ,बिल्कुल सही मुझे भी नहीं पसंद ,जैसी फोटो भेजी गई थी उतनी अच्छी नहीं है ।"
  मामी बोलती है - "लड़की इतनी बुरी नहीं है अच्छी ही है,किसी की लडकी को देख कर ऐसे सीधा मना करना अच्छा नहीं है या तो पहले घर पर देख लिया होता ऐसे मंदिर या इतना बड़ा कार्यक्रम नहीं करवाना चाहिए था ।
अब आ गए है देख लिया 5लाख दे रहे है और भी 1,2लाख  और देंगे कर लीजिए ।"
        लड़का मना करता है यह बात लडके के भाई तक पहुंचती है वह बोलता है 1,2लाख और दे देंगे सोने की चैन दे देंगे ,शादी कर लीजिए ,मेरी बहन शालीन है आपकी हर बात मानेगी ,पढ़ी  - लिखी है , पढ़ाती थी बच्चों को,उसे घर के सारे काम आते है , शादी न तोड़िए कर लीजिए ।
लेकिन शादी टूट जाती है  ।
लड़का कुछ नहीं करता सिवाय किसी निजी कम्पनी में किसी कर्मचारी के पद पर है मासिक तनख़ाह सिर्फ  पंद्रह हजार है  और घर में बहुत ज्यादा जमीन भी नहीं है ।
    समझ नहीं आता कि जब एक लड़की की शादी होती है तो यह सोचती है कि उसके पिता पर अधिभार ज्यादा नहीं हो लेकिन वह सोच वह भाव तब खत्म कैसे हो जाता है जब उसी लडकी के लडके की शादी की बात होती है ,क्या फिर एक लड़की की जिंदगी वहां नहीं है क्या फिर कोई पिता उस जगह नहीं है ,क्या कोई मां उस जगह नहीं है ,बदलाव के लिए घर से ,एक परिवार ,एक व्यक्ति से शुरू नहीं किया जा सकता यह आखिर क्यों ?
     क्या किसी इंसान का वजूद सिर्फ उसके बोल लेने ,ढंग से चल लेने ,रंग साफ होने ,पैसे ,धन - दौलत ,लंबाई से ही है ,मानों कोई सामान खरीदने गए हो और उसे ठोक बजा कर देख लिया ।माना कि पूरी जिंदगी का सवाल हैं लेकिन जो आप देखने गए वह जिंदगी गुजारने के लिए बहुत है क्या वह बाहरी सुन्दरता स्थिर है ,क्या दहेज में मिला धन स्थाई है ,स्थाई यदि है तो सिर्फ सामने वाले का व्यक्तित्व,उसके विचार ,जिसके बारे में यह समाज रत्ती भर भी नहीं सोचता ,क्या यह सही है ? 


 महिमा सिंह(यथार्थ अभिव्यक्ति)

आखिर क्यों

    In this modern era,my emotional part is like old school girl... My professionalism is like .. fearless behavior,boldness and decisions ...