Sunday, September 19, 2021

उपेक्षित





उपेक्षित सा एहसास क्यों है,
कोमल सृजित उस बीज को रखा है खुद की गोंद में,
है तपिश मुझमें बहुत पर झांप भी लगती नहीं,
है रक्त से सिंचित मेरे,जीव प्राण आधार वह!

गंदगी को छोड़ जाता गंदगी जैसा समझ कर,
रिस-रिसा कर सोख जाती ,जीव के मलीन को,
क्रोध की है ज्वाला मुझमें समन्वयक है धैर्य ही!

भार से ढका हुआ है कतरा -कतरा नब्ज तक,
 जकड़ गया है कंठ मेरा रूह की आवाज है,
है परखता हर कोई क्या जान पाया अक्स मेरा !

नीले चादर से ढका है बदन मेरे रूह तक,
पर है तपिश की ज्वाला कहीं तो ,
है उफ़ान सी जिंदगी कहीं,
फिर भी है रक्त मेरा क्यों उपेक्षित ,
क्यों मिलावट गन्दगी का कर रहा तू रक्त में !

नीला अंबर छाव मेरा उसमें है अब,
क्षिद्र थोड़ा, फट गया जो छाव मेरा,
तपिश सूर्य की न बचा सकेगी कुछ!

धरा हूं मैं प्रेम है ,तपिश भी,कोमल भी हूं,
शीतलता से भरी हुई हूं, धैर्य से परिपूर्ण हूं,
विखण्डन हूं विनाश हूं तपिश से भी पूर्ण हूं
धरा भी हूं और माँ भी हूं........

महिमा यथार्थ©

Tuesday, September 7, 2021

महिला सशक्तिकरण ,अधिकार एवं दुरुपयोग

महिला शसक्तीकरण ,अधिकार एवं दुरुपयोग               

 "अधिकार की उपयोगिता बहुत ही सराहनीय है किंतु किसी को परेशान करने के लिए,किसी की अस्मिता पर प्रश्नचिन्ह के लिए नहीं बल्कि स्वयं के प्रति अन्याय को रोकने हेतु  या न्याय प्राप्ति हेतु ।"
         ध्यातव्य है कि महिलाओं के साथ कभी घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न,
भ्रूण हत्या,छेड़छाड़ ,जबरदस्ती ,असमानता ,भेदभाव जैसे अनगिनत अन्याय होते आए है लेकिन हमारे संविधान में उन अन्यायों के खिलाफ सख्त कार्यवाही का प्रावधान है , न्याय की लेटलतीफी एक अलग मुद्दा है क्योंकि यह सिर्फ लापरवाही या संविधान के छिपे अनगिनत प्रावधानों का नतीजा है । समाज में ,परिवारों में  धीरे -धीरे बदलती परिस्थितियों के अनुसार काफी परिवर्तन जारी है जिसकी वजह से आज महिलाएं अनगिनत क्षेत्रों में नई बुलन्दियों को हासिल कर रही है ,आत्मविश्वास से परिपूर्ण हो रही है,अभिव्यक्ति के मुखर बिंदू पर उन्नत हो रही है , लोगों में उनके कार्यो ,उनकी योग्यता ,उनकी अस्मिता  को लेकर लगातार परिवर्तन  दृष्टिगत है । 
                परंतु आज भी समाज में अनगिनत बुराई व्याप्त है आज भी छेड़छाड़, दहेज हत्या ,असमानता,जबरदस्ती, घरेलू हिंसा , मानसिक  प्रताड़ना  व अन्य हिंसा व्याप्त है । न जाने कितने बृद्ध जनों को उनके जीवन के अंतिम पड़ाव पर  बेघर कर दिया जा रहा है , आज भी न जाने कितनी ही विधवाओं को बेघर कर दिया जा रहा है ,उनके साथ बुरा व्यवहार किया जा रहा है  ।  अनवरत रूप से  राज्य , राष्ट्र स्तरीय, गैर सरकारी संस्थाओं व अन्य द्वारा लगातार उनकी आत्मनिर्भरता हेतु पेंशन , रहने हेतु मथुरा,हरिद्वार व अन्य जगहों पर आश्रम में आश्रय दिए जा रहे है ,समाज भी पूरी तरह प्रयासरत है ।  जिसमें अभी भी सबसे ज्यादा सुधार और बदलाव की कोशिश की जानी चाहिए ।
   हाल ही में लगातार ऐसा  पाया जा रहा है कि  कार्यलयों में ,अन्य सार्वजनिक स्थलों पर ,व्यक्तिगत स्तर पर महिलाओं द्वारा झूठे आरोप लगाए जा रहे ,कभी आर्थिक रूप में ,तो कभी उनको बेइज्जत करने के लिए,कभी उनकी बात न सुनने की वजह से व अन्य कारण है जो सत्य घटनाओं के रूप में सामने आ रहे है । 
              आज लगातार साइबर बुलिंग, सोशल मीडिया, व अन्य तरीकों से अनायास ही मानसिक प्रताड़ना महिलाओं और कहीं न कही पुरुषों  को झेलना पड़ रहा है  । लंबे समय से अन्याय के कारण महिलाओं की बातों की सत्यता जाने बगैर ही कार्यवाही की जाती रही है  इसका नाजायज फायदा कुछ महिलाओं द्वारा अनवरत उठाया भी जा रहा है और कहीं न कहीं प्रयासरत भी है  कुछ लोगों के अधिकारों के अनुप्रयोग के कारण लोगों का विश्वास टूटता जा रहा है और  असल पीड़िता के न्याय और कार्यवाही में लेटलतीफी का कारण बनता जा रहा है ।
      हमारे समाज की बिडम्बना ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी  यह बनी हुई है कि महिलाओं के साथ हुए अन्याय,जबरदस्ती , शादी से पहले लड़कियों की अस्मिता पर लगाए झूठे आरोप व अन्य को लोग अपने सम्मान और परिवार की प्रतिष्ठा से जोड़ कर बैठे हुए है ऐसे में यदि महिलाओं द्वारा ही अपने अधिकारों का गलत प्रयोग होता रहेगा तो अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोग ,न्याय के इच्छुक लोग , पीड़ित या पीड़िता का मनोबल कम होता चला जायेगा ,जिससे समाज में सुधार की प्रक्रिया अनवरत गर्त की ओर रुख करती रहेगी ।
               अनवरत लोगों द्वारा कृत्य प्रयास महिला अधिकारों ,असमानता की कमी , दहेज उत्पीड़न, घरेलू हिंसा ,मानसिक व शरीरिक कष्ट आदि के लिए उठते आवाज को भी दबते हुए पाएंगे यदि इसी तरह अपने अधिकारों का अनुपययोग करते रहेंगे तो अगर हम न्याय के लिए या समाज में व्याप्त बुराइयों के लिए कुछ अच्छा करने का प्रयत्न नहीं कर पा रहे है तो उनसे उम्मीद की जाती है कि अन्याय को और अधिक पल्वित न करे ,न्याय में किसी तरह की बाधा को प्रेरित न करें ।
 बल्कि अपने अधिकारों को सही ढंग से जानने का प्रयत्न करने की कोशिश की जानी चाहिए और सही ढंग से खुद के लिए और लोगों के न्याय के लिए उपयोग किया जाना चाहिए ताकि समाज में व्याप्त अन्याय के खिलाफ लोगों को प्रेरणा मिले और न्याय के लिए लोग आगे आए।
          स्त्री  और पुरुष के अस्तित्व और अस्मिता को मर्यादा और सम्मान की अग्नि पर चढ़ाने के बजाय उनका साथ देना चाहिए  और अस्मिता की रक्षा स्वंय ,परिवार ,समाज  और राष्ट्र द्वारा की जानी चाहिए।
            आज लगातार राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास  किये जा रहे है आज महिलाओं को 33%आरक्षण ,नौकरियों में समान अवसर  जैसे संवैधानिक प्रयास फलीभूत हो रहे है , एल० पी०जी० कनेक्शन  महिलाओं की अस्मिता और स्वास्थ्य को दृष्टिगत रखते हुए एक बेहतरीन प्रयास है , महिला प्रसूताओं हेतु आर्थिक व स्वास्थ्य समन्धित प्रयास ,  महिलाओं के व्यवसाय हेतु महिला -ई-हॉट योजना मेक- इन -इंडिया और  डिजिटल इंडिया के तहत व्यवसाय का एक सुनहरा अवसर प्रदान कर रही है । 
         लंबे समय से चली आ रही महिलाओं के प्रति हिंसा , दुर्व्यवहार ,असमानता व अन्य धीरे-धीरे कम होते जा रहे । बदलाव परिवार,समाज और राष्ट्र में परिवर्तन से ही सम्भव आज हमारा समाज भी इन कुरीतियों और गलत मानसिकता को बदल रही है और समझने का प्रयत्न कर रही है । अद्यतन रूप में आज ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जैसे खगोल,अंतरिक्ष, शोध ,खेल ,चिकित्सा आदि में अपना परचम बुलन्द कर रही है ,यह परिवार,समाज ,राज्य-राष्ट्रीय स्तर पर किये गए प्रयासों से ही फलीभूत हुआ है और अनवरत इसमें बदलाव किया जाना चाहिए ।
   
महिमा यथार्थ©
सन्त कबीर नगर,उत्तर प्रदेश

आखिर क्यों

    In this modern era,my emotional part is like old school girl... My professionalism is like .. fearless behavior,boldness and decisions ...