https://youtu.be/bg_kY6JysuY
ख्वाहिशों की लंबी फेहरिस्त रहती होगी ,
उन छोटे -छोटे बच्चों और बच्चियों में जो,
सुबह सुबह कद से भी बड़ा झोला टाँगे ,
फिरते है दर बदर ,
कभी जूठे बोतलों की तलाश में तो कभी छोटे बड़े लोहे की टुकड़ो में तो कभी रद्दी के मोटे दफ़्तियो को ढूंढने में,
नंगे पांव घूमते है ,
नजर से न देखने योग्य कूड़ो के ढेरों में
तो कभी बेखौफ से घुसते है ,असुरक्षित जगहों में,
ख्वाहिशों की लंबी फेहरिस्त लिए फिरते है दर- बदर,
कुछ न कर सको तो कम से कम ,
घर मे पड़े बोतलों और डिब्बों को ,
सम्भाल के रख ही दिया करो,
जब घूमते है ये बच्चें तो ,
उस रद्दी के सामानों को सुपुर्द ही कर दिया करो,
नही कहती मैं की उन्हें घर बिठाओ या ,
खाना खिलाओ मगर ,
जितना कर सको आसानी से उतना तो कर ही दो ,
ख्वाहिशों की लंबी फेहरिस्त रहती होगी,
हर एक के मन में।
- महिमा सिंह (यथार्थ अभिव्यक्ति)
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