Sunday, September 25, 2022

मात्र नौ दिन

✍️मात्र नौ दिन ✍️
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बधाई हो,
आप  आज से मात्र नौ दिन की देवी है ,
हर वर्ष आपके लिए यह शुभ दिन ,
आता है,आया है,आता रहेगा !

न न ज्यादा खुश मत हो जाना ,
शेष दिन वर्ष भर रहेगा और 
तब तुम तेज बोलोगी तो मुखर नहीं,
बेशर्म ,संस्कार हीन,समझ ली जाओगी!

आपका  बेबाक और मनमुताबित काम को,
बेफजूल,नारीवादी मानसिकता,बेपरवाह
समझ लिया जाएगा ,ज्यादा खुश मत होना,
आपका सौंदर्य,रूप,किसी के नजरों में
हवस भर देगा ,चिंता मत करो,
 अपारदर्शी ,संपूर्ण, कपड़े नहीं पहनी होगी न,
इसलिए गलती आपकी होगी !

आपको प्यार में अपशब्द बोला जा सकता है,
यह तो चलता आया है तुम पलट के जवाब दोगी,
अरे! मर्यादा और संस्कार भूल गई हो क्या ,
गृहस्थी बचाने की जिम्मेदारी मात्र आपकी है न,
सहना सीख लो, हमने भी तो किया है न!

बधाई हो तुम मात्र नौ दिन की देवी हो,
बात नहीं मानोगी न तो मार दी जाओगी,
जला दी जाओगी,चेहरा खराब कर दिया जायेगा,
मना मत करना अगर जिंदा रहना है, मर –मर के,
घुट –घुट के जी लेना कम से कम सांसे चलेंगी!

बधाई हो! आवाज तो उठाओ आप,
नारीवादी मानसिकता वाली पदवी मिलेगी,
तुम मुखर हो,प्रखर हो,बेबाक हो,
आत्मसम्मान है तुम्हारा सब भुला दिया जाएगा!
Mahima Singh©

Monday, September 19, 2022

✍️चरित्र चित्रण एक अभिशाप



✍️चरित्र चित्रण एक अभिशाप ✍️

पुरुष ज्यादा चरित्रवान इसलिए भी है कि,
स्त्रियां ज्यादा मर्यादित और सामाजिक डर में
भी जीती है ज्यादातर,
अक्सर पुरुषों के चरित्र का प्रमाणपत्र किसी न किसी
स्त्री के जीवन में समाया है या इनबॉक्स में पड़ा है,
स्त्रियां बैठक लगा किसी पुरुष का चरित्र चित्रण नहीं
करती अक्सर,
पुरुष ज्यादा चरित्रवान इसलिए भी है इस समाज में!

स्त्रियां अक्सर इस समाज में चरित्रहीन मान ली जाती है क्योंकि लोगों को अपनी व्यक्तिगत बातों को सार्वजनिक करने का शाश्वत अधिकार जो प्राप्त मान
लिया जाता है ,
अक्सर स्त्री के बारे में बैठक लगा चार लोग चरित्र 
चित्रित करते है,
अक्सर उनका मना करना उनके जान पर बन आती है, वह एसिड अटैक की शिकार हो जाती है,
स्त्रियां के बारे कोई भी बात बिना प्रमाण के मान भी ली जाती है अक्सर,
स्त्रियां इसलिए भी समाज में चरित्रहीन मान ली जाती है!

अक्सर कुछ लोगों की गलतियों को पूर्वाग्रह मानकर भी लोग एक दूसरे का चरित्र चित्रित करने लग जाते है,
क्या यह सही है ?किसी के लिए भी?

नारीवादी समाज की अपेक्षा नही है , न पुरुषवादी समाज की है हमें , कम से कम समानता,सम्मान मांगनी न पड़े ,ऐसा मानवतावादी समाज ,व्यवहार लोगों में होना ही चाहिए ।महिमा यथार्थ ©

आखिर क्यों

    In this modern era,my emotional part is like old school girl... My professionalism is like .. fearless behavior,boldness and decisions ...