अपने हार की जिम्मेदार मैं,
अपने जीत की हक़दार मैं,
अपने उदासी का कारण मैं,
अपने कमजोरी का कारण मैं,
अपने एहसास की वजह मैं,
अपने खामोशी की वजह मैं,
अपने विचारो की जिम्मेदार मैं,
अपने गुस्से की वजह मैं,
लोग मुझे क्या कहे इसकी जिम्मेदार मैं,
मुझे कौन तकलीफ दे वजह मैं,
मैंने किसे बोलने का हक दिया खुद के बारे में जिम्मेदार मैं,
मेरे रोने की वजह मैं,
अपने भाग्य की निर्माता मैं,
स्वाभिमान की रक्षक मैं,
ईर्ष्या,घृणा, निंदा नही करना निर्णय मेरा ,
सहनशीलता की हद तय करने की जिम्मेदारी मेरी,
जीवन मेरा,
अबला में ही बल निहित है, पहचानना मेरा कर्तव्य
किस्मत पर बस नही,
जिम्मेदार नही हूँ तो इसकी की,
मैं लड़की हूँ,
मुझे अबला कहा जाता है,
विरोध करना ,मर्यादा तोड़ना माना जाता है,
प्रेम करना पाप माना जाता है,
उच्च कुल नही तो जिम्मेदार नही,
स्त्री का मतलब पारिवारिक इज्जत का बोझ ढोना,
क्या सिर्फ स्त्री मात्र जिम्मेदार है ?
सिमटते सपनो को देखा है मैने उन
आँखों जब लौट के घर को जाती हूँ,
स्त्री तू महान है ,,, यह समाज एक मजबूत स्त्री को
अक्सर बुरी नजर से देखता है
क्योंकि उसे नियंत्रित नही कर पाता ,
समय-समय पर चरितार्थ भी हुयी है ,
तू चल संघर्षों के मैदान में ,
अकेले सफर को तैयार हो जा,
अगर यह जिंदगी तेरी है तो ,
भाव को अपना सबसे बड़ा पथप्रदर्शक बना,,
बाकी समय चलता रहेगा अपना काम वक्त करता रहेगा।
- महिमा सिंह (यथार्थ अभिव्यक्ति)
3 comments:
"जिम्मेदार मैं".... One of the best writings👍♥️👌
Beautiful and strong, with soul and heart. Thank you
Wow
Post a Comment