Tuesday, March 14, 2023

मेरे पास एक दीप है!

मेरे पास एक दीप है,
जिसका उजाला मेरे अंतर्मन तक पहुँचा,
वह खुद प्रकाशित है और उसके अंतस में खोज है!

मेरे पास एक जलता दीप है,
जिसकी लौ प्रकाशित है,
उसकी प्रकाश में ताप है,
जिसकी छाया में शीतलता है!

आँधियों में उसकी लौ को मुझे,
आँचल देना है,उसकी लौ मुझे
गर्मी दे रही है मै खुश हूं!

मेरे पास एक जलता दीप है,
जो मेरे अंधेरी रातों का हमसफ़र होगा,
जिसकी लौ हवा में मुझे बेचैन करती है,
जिसकी शांती मुझे बेचैन करती है!

मेरे पास एक जलता दीप है,
जिससे गर्माहट तो है लेकिन यह,
मेरे आत्मा की तहों तक पहुँच,
सुलगा रही है मुझे आहिस्ता से !

मेरे पास एक जलता दीप है,
जो अल्हड़,बेबाक़, चट्टान सा जल रहा है,
उसकी बाती ही उसे जला कर प्रकाशित कर रही है,
वह खोजी है एक शीतलता का,सुकून का ,
उसे एहसास है उस तेल का जो उसे प्रकाशित कर रही है!

मेरे पास एक जलता दीप है,
जिसके कण-कण को समझना है ,
जैसे किसी कोरे किताब का लेखक
एक -एक वर्ण महसूस करता है,
पिरोता है शब्दों को और करता है
जीवन्त एक किताब को !
महिमा यथार्थ©

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22 may CA